Wednesday, 9 March 2011

'मानव और गप्पबाजी दोनों एक दूसरे के बिना जीवित नहीं रह सकते'



अभी हाल ही में खबर पढ़ने को मिली कि 'भारत-आयरलैंड' के बीच हुए मुकाबले में सचिन को पवेलियन की राह दिखाने वाले किशोर गेंदबाज डोकरेल का सचिन के अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में पदार्पण के समय तक जन्म भी नहीं हुआ था. लगा मानो कोई कह रहा हो कि सचिन को आज से १९-२० साल पहले आयरलैंड से यह कहने का पूरा हक था कि-
''नामुरादों!!! मुझे आउट करने वाला अभी तक तुम्हारे देश में पैदा ही नहीं हुआ..''  

उम्मीद के मुताबिक आपको ज्यादा हंसी नहीं आयी होगी.. चलिए कोई बात नहीं, आगे बढ़ते हैं. तो दोस्तों और दोस्तानियों!! होली का समय नजदीक आ रहा है और ऐसे में अगर कोई कहे कि होली और हास्य ये दोनों ऐसे ही हैं जैसे चोली-दामन, चाँद-चांदनी, काया-परछाईं, कीचड़-बदबू, लेखक-ईर्ष्या, आधुनिक संत- राजनैतिक महत्वाकांक्षा,  कांग्रेस-भ्रष्टाचार, दलित-दमन, हिंदी ब्लोगिंग-विवाद, मानव-गप्पबाजी वगैरह-वगैरह, तो उसके कथन या यथार्थवादी वक्तव्य में रत्ती भर भी झूठ नहीं है (झूठ होगा कैसे नालायक!! जब वो वक्तव्य ही यथार्थवादी होगा).
कई दोस्तों के मन में ये सवाल उठ रहा होगा कि चोली-दामन और चाँद-चाँदनी जैसे पवित्र उदाहरणों से प्रारंभ हुआ ये सिलसिला अचानक बदबूदार उदाहरणों तक कैसे पहुँच गया. तो याड़ी!!! बात दरअसल ये है कि आजकल शोकेसिंग का जमाना है. आपने जितने अच्छे से शुरुआत दिखा दी उतनी जल्दी और तेज़ी से मार्केट में आपका माल बिक गया समझिये. देख ही रहे हैं कि मॉल कल्चर है, अन्दर भले ही गोबर भरा हो लेकिन पैकिंग चमकीली, भड़कीली और एकदम दुरुस्त होनी चाहिए और साथ ही गोबररूपी उत्पाद पर पर्याप्त मात्रा में इत्र या आवश्यक बेवकूफबनावीकरण सामग्री का छिड़काव हुआ होना परमावश्यक है... बाकी सब चलता है. अब उदाहरण के लिए कहेंगे तो अपनी राखी सावंत अर्ररर मेरा मतलब आप सबकी न्यायाधीश याने योरलोर्ड(मीलोर्ड नहीं) राखी सावंत को ही देख लीजिये.. तो बस इसी भावना के तहत आपके सामने पहले कुछ खूबसूरत से महकते उदाहरण पेश करने पड़े.
बात होते-होते ख़त्म होती है मानव-गप्पबाजी जैसे अटल और अविनाशी उदाहरण पर... तो महाशयों/ महाशयनियों ये मेरी व्यक्तिगत सोच है और इसे कोई चाह कर भी मेरे घुट्नापटल(अरे वही जिसे आप सब अपना  मष्तिष्कपटल कहते हैं) से नहीं मिटा सकता कि 'मानव और गप्पबाजी दोनों एक दूसरे के बिना जीवित नहीं रह सकते' याकि यूं कहें कि कल को आर्कमिडीज का कोई सिद्धांत गलत सिद्ध हो सकता है किन्तु यह नियम नहीं.. 
बहुत संभव है कि बिन रोटी, कपडा, मकान के कोई व्यक्ति जीवन गुज़ार दे, लैला अपने मजनूँ के बिना रह जाए... लेकिन ऐसा असंभव ही जान पड़ता है कि दुनिया में कोई मानवप्राणी एक निश्चित समयावधि से अधिक देर तक गप्पबाजी में शामिल हुए बगैर जीवित रह ले. यदि वो लेखन से और उसमे भी विशेष शाखा चिठियागिरी से जुड़ा हुआ है तब तो यह सार्वभौमिक सत्य है कि गपशप के बिना वह शायद उतना भी नहीं टिक सकता जितना कि बिना अन्न और जल ग्रहण किये. 
अब गप्प शुरू करने के लिए किसी ख़ास मौके, मजमून, मुकम्मल शख्सियत की जरूरत नहीं होती. कहते हैं कि 'जहां चाह वहां राह' तो एक बार आप मन में जरा सी कल्पना मात्र कीजियेगा और तुरंत ही गप्प सामग्री आपके आस-पास टहलती नज़र आयेगी. ये किसी के भी ऊपर-नीचे, आगे-पीछे हो सकती है. ये वो गैरसंवैधानिक छींटाकशी है जिस पर किसी की बपौती नहीं चलती, किसी का पेटेंट नहीं चलता. इसका आयाम आपके मोहल्ले के बल्लू-शीला, पपलू-रजिया, छोटे-मुन्नी, पप्पू-पिंकी, बंटी-बबली से लेकर राखी-मीका, रेखा-अमिताभ, डौली बिंद्रा-श्वेता तिवारी तक है.... जरूरी नहीं कोई व्यक्तिवाचक संज्ञा ही गपशप का केंद्र बिंदु बनाया जाए, इसमें समूह, स्थान, भाव किसी को भी समेटा जा सकता है या ये कहें कि इसे जितनी मर्जी चाहे विस्तारित किया जा सकता है. वैसे इसका विस्तार  कहाँ से शुरू होगा कहाँ तक जाएगा इसका जवाब तो आइन्स्टाइन भी न दे सकते थे फिर आजकल के कलादानों, साइंसदानों और मेरी औकात ही क्या है. 
जब भी गप्प-सेशन प्रारम्भ करना हो तो जरूरत इतनी मात्र है कि आप जिसके बारे में गप्प शुरू करना चाहते हैं उस संदर्भित व्यक्ति/ वस्तु/ घटना से वाकिफ हों.. ज्यादा ना हों तब भी चलेगा लेकिन उस दशा में आपकी कल्पनाशक्ति लाजवाब होनी चाहिए और साथ ही आपमें हाज़िरजवाबी की अद्भुत क्षमता हो तो सोने पर सुहागा है. यदि आपमें ये सभी दक्षताएं हैं तो गप्पछेड़ित विषय के बारे में एक बार देखने से लेकर उसके नाम सुनने तक की जान-पहिचान काफी है. 
मेरा ये भी मानना है कि गप्प-कण प्रत्येक व्यक्ति की रग-रग में व्याप्त हैं और रुधिर कणों से चिपके हुए निरंतर हमारी देह में प्रवाहित होते रहते हैं. जहां भी इन्हें प्रदर्शन का जरा सा भी मौका मिलता है ये पृथ्वीराज चौहान के शब्दभेदी अचूक वाणों की तरह 'मत चूको चौहान' के आह्वाहन पर खरे सिद्ध होते हैं, अब इन्हें प्रदर्शन के लिए किसी ओलम्पिक पदक या विश्वकप का लालच देने की आवश्यकता तो है नहीं. गप्प में कही गयी बातें यदि यारों-दोस्तों या हल्की सी जलन रखने वाले हमनवाज़ों, हमनिवालों, हमप्यालों, हमदर्दों, हममौजों के बारे में कही जाए तो हास्य-व्यंग्य का अवतार मानी जा सकती हैं और दुश्मनों के बारे में कही जाने पर यही अवतार कटाक्ष या पलटवार का रूप धारण कर लेते हैं. 
गप्पबाजी का कार्यक्षेत्र भी इतना व्यापक है कि एक तरफ जहाँ यह धर्म से लेकर कर्म तक में दखल रखती है, वहीं इतिहास से लेकर भविष्य की योजनाओं, राजनैतिक परिचर्चाओं, वादों, यादों आदि तक में समाहित रहती है. गणित, विज्ञान, अर्थशास्त्र, कला, भूगोल, भाषा.. ये सभी चाहे अलग-अलग विषय हों लेकिन गपशप एक ऐसा अद्भुत, अचूक मंत्र है जो इस सब को बाँध कर एक ही मंच पर प्रस्तुत कर सकता है. कहने को लोग सदियों से गप्प को उपेक्षित वस्तु बनाए हुए हैं और जानवरों की तरह इसके लिए 'हांकना' शब्द का प्रयोग करते आ रहे हैं लेकिन वस्तुतः यह गप्प ही है जो इंसान को हांकने में सक्षम है, ना कि इंसान गप्प को हांकने में. किन्तु फिर भी इस महाशक्ति को प्रारम्भ करने के लिए कोई चालक-परिचालक तो चाहिए ही ना.. जैसे उदाहरण के तौर पर भारत में मौजूदा सरकार दो कार्यकालों से विकास की गप्पें हाँक-हाँक कर जनता को हँका रही है और अगले कार्यकाल के लिए अपने जन्मजात प्रधानमंत्री के लिए लालकालीन तैयार कर रही है.  
दरअसल ये गप्प-शास्त्र का उद्भव कहाँ से हुआ और कैसे हुआ ये अभी तक अज्ञात है, यह अजन्मे हरि की तरह ही है, क्या पता इसकी उपस्थिति ब्रह्माण्ड में समय से पहले से ही हो... इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि डायनासौरों की विलुप्ति का एक बड़ा कारण उनका गप्पबाज़ न होना रहा होगा. इसलिए हे ब्लॉगमित्रों अपने अस्तित्व को कायम रखने हेतु इस अलौकिक गुण को अपने जीवन में उतारिये और गप्पकला को नित नए आयाम दीजिये, उसे संवर्द्धित, विस्तारित करने में अपना योगदान दीजिये. 
(विशेष: गप्पकला से एलर्जी महसूस करने वाले कृपया इस वर्णित प्रसंग को होली की ठिठोली की तरह देखें अन्यथा इससे उत्पन्न होने वाले मानसिक दुष्प्रभावों के लिए अभागा लेखक उत्तरदायी नहीं होगा... ;)   )
दीपक मशाल 

Sunday, 6 March 2011

एक जरुरी सूचना :- कल से ब्लोगिंग बंद

सभी दोस्तों को मेरा प्रणाम ... कल से ब्लोगिंग बंद कर रहा हूँ ... अब तक जो भी कहा सुना ... बुरा या भला नहीं जानता ... पर आप सब के प्यार के लिए धन्यवाद !

जानता हूँ १० -११ दिन बहुत अजीब लगेगा  ... पर उसके बाद कोई दिक्कत नहीं होगी ... यही उम्मीद है !! 

Friday, 4 March 2011

आओ सुनाऊँ ब्लॉग जगत की तुम्हें कहानी


संगठन के कार्यकर्ता कार्यकारिणी सूची बना रहे हैं तब तक आप यह गीत जैसा कुछ पढ़िए और अगर आपके सुर ताल में गड़बड़ हो  तो फिल्म  "क्रिश"  के गीत "आओ सुनाये ..." की तर्ज़ पर गुनगुनाने की कोशिश भी कर सकते हैं.

आओ सुनाऊँ ब्लॉग जगत की तुम्हें कहानी
यहाँ करता हर कोई अपनी-अपनी मनमानी 
कोई बन के बैठा है ,कोई तन के ऐंठा है 
किसी ने अपने गुट से ना निकलने की है ठानी 
आओ सुनाऊँ

कोई कविता लिखे ,कोई कहानी कहे
कोई यादें लिखे कोई जुबानी कहे
कोई तो बस गरियाने को ही राजी 
आओ सुनाऊँ .....

टिप्पणी नहीं चाहिए जो नित कहता जाए
उतनी ही उसकी नजर बाक्स पे गड़ती जाए
कोई बंद करके उसे बन जाये महा ज्ञानी
आओ सुनाऊँ,..

कोई उथला लिखे कोई गहरा लिखे 
कोई लेके पिन बस चहूं ओर फिरे.
जहाँ देखा गुब्बारा, पिन चुभा दी जानी .
आओ सुनाऊँ ..

जो छपने लगे वो उड़ते रहें गगन में
जो ना छप पाए आहें भरे ब्लॉग चमन में
छप जाएगी उनकी भी एक दिन कहानी.
आओ सुनाऊँ...

कुछ अकड़ में रहे कुछ सार्थक रचते
कुछ खबरे यहाँ वहाँ की चिपकाते रहते
कुछ ने बना ली है अपनी टोली निराली 
आओ सुनाऊँ......

कोई रोए अपना दुखड़ा,कोई हँसे जो दूजा रोये  
कोई सुने ना बिना नारी पुरुष के चाहे जो भी होए
किसी को बस राजनीति ,है अपनी भुनानी .
आओ सुनाऊँ ब्लॉग जगत की तुम्हें कहानी
यहाँ करता हर कोई अपनी-अपनी मनमानी

Thursday, 3 March 2011

अखिल ब्रह्माण्ड ब्लागर्स संगठन मे "रंग-महोत्सव" की तैयारियां ज़ोरों पर

पिछले कुछ दिनों से हिन्दी ब्लागिंग मे ढेर सारे संगठनों का निर्माण और पदाधिकारियों की नियुक्तियाँ/भर्तियाँ चालू हैं। जिन क्षेत्रों के संगठन बन चुके हैं उधर के ब्लागर पदाधिकारी अपनी अपनी कुर्सियों मे तेल लगा कर चमकाने मे लगे हैं। राज्यों और क्षेत्रों और देशीय सहित वैश्विक ब्लागर संगठन अस्तित्व मे आ चुके हैं। इनके अस्तित्व मे आने पर क्षेत्रवाद देशवाद और ग्रह वाद का खतरा मंडराने लगा था। कुछ एलियन ब्लागरों ने इन प्रयासों पर आपत्ति दर्ज की और धरती वालों पर पक्षपात करने का आरोप लगाया जिसके बाद समस्त ग्रही विग्रही  और निग्रही ब्लागरों के  गहन विचारोपरांत अखिल ब्रह्मांड ब्लागर्स संगठन अस्तित्व मे आ चुका है।
संगठन की अध्यक्षा और सुश्री शिखा वार्श्णेय जी ने समस्त ब्रह्माण्ड के जाने-अनजाने, भूले-पहचाने और  अपने बेगाने सभी का हार्दिक अभिनंदन और स्वागत किया। होली को संगठन का वार्षिक पर्व घोषित करते हुए इसे समस्त ब्रह्मांड वासियों और ब्लागरों से धूम धाम से मनाने का आव्हान किया है। होली पर अलसाए, सकुचाये और मुरझाए ब्लागरों को पाँच सौ पोस्टों पर "पूरी पोस्ट पढ़ कर" टिप्पणी देने की सजा मिलेगी।
Adarsh Nagar workshop Delhi (2)3संगठन की सचिव श्री श्री 1008 श्री महामंडलेश्वरी, जगत माता, परमानंद प्रदाता, महामहिम, ब्लागरा  श्री मति इन्दु पुरी  जी गोस्वामी चित्तौड़गढ़ी ने संगठन को चतुर्दिक प्रचारित, प्रसारित, और अनुसरित करने के लिए अपनी "एड़ी" "चोटी" लगा देने की प्रतिबद्धता व्यक्त की है।
उदघाटन समारोह मे अपने अभिभाषण के दौरान सचिव इन्दु जी ने कहा कि हिन्दी ब्लागिन ने जिस तरह से अपना विस्तार किया है... वह दिन दूर नहीं जब यह विश्व की सीमाओं को तोड़ते हुए ब्रह्मांड के तमाम ग्रहों उपग्रहों तक संक्रामण कर जाएगी। उन्होने बताया कि हिन्दी चिट्ठाकारिता से प्रभावित होकर कई एलियन  पृथ्वी पर  मनुष्य के भेस मे ब्लागिंग कर रहे हैं। यहाँ तक कि ढेर सारे सुर और असुर भी मनुष्यों के वेश मे ब्लागिग के गुर सीखने के लिए ब्लाग ब्लाग  विचरण कर रहे हैं। समस्या यह है कि कुछ अशरीरीयों(अनामियों बेनामियों) के कारण ब्लाग जगत लगातार हलकान होता रहा है। गूगल बाबा के दरबार मे  इन भूतों की पहचाने करने के लिए आईपी ट्रैक  की सुविधा प्रदान कराने पर आवाज़ उठाई जाएगी। उसके बाद इनके क्रिया कर्म तर्पण और आत्मा की शान्ति के लिए यज्ञादि की व्यवस्था भी संगठन द्वारा अपने कोश से मुफ्त मे किया जाएगा।
Marriage Sameerlal's Son (72)संगठन के प्रवक्ता जय और वीरू ने अवगत करवाया है कि बीस फरवरी तक संगठन रंग-महोत्सव  मनाने जा रहा है जहां रंग और भंग के अनवरत बरसाने की पूरी तैयारी है  समारोह मे सभी नामियों-अनामियों-बेनामियों-महा-अनुभावों का स्वागत बिना मोडरेशन के करने का पक्का इंतजाम किया है। उन्होने बताया कि समारोह-स्थल पर तम्बू ताने जा रहे हैं। सामियाने और छोलदारियों से लदे भैंसा बुग्गी और जुगाड़ आ जा रही हैं। पूरे ब्रह्मांड मे बीस फरवरी तक के लिए "रंग-दारी" टैक्स लागू कर दिया गया है और धारा 441 लगा दी गयी है जिसके चलते कोई भी चार पाँच लोगों से कम की संख्या मे हुडदंग नहीं मचा सकता है। 
HOLI (20)सभी कुओं, नलों की पाइपों और  मे भंग घोलने के आदेश पारित कर दिये गए हैं। ठंडाई  के देग  के देग तैयार हो रहे हैं। समारोह के दौरान गंभीर पोस्टें लिखने वालों पर खास नज़र रखी जाएगी और उनपर ब्लॉग मार्शल का मुकदमा चलाया जाएगा साथ ही उसके ब्लागी घोषित कर दिया जाएगा । 
HOLI (57)समारोह स्थल पर नरम मिट्टी की खुदाई कर के बड़े-बड़े चहबच्चे भी तैयार किए गए हैं....  जिन्हें स्पेशल आयातित इंजीनियरों द्वारा टेस्ट क्या जा रहा है। खबर है कि इन चहबच्चों मे ऐसे केमिकल मिलाये गए हैं जिसमे सारे अशरीरी प्रकट हो जाएँगे।
Blogger Meet Chateesgarh Bhawan Delhi (21)मेहमानों के लिए खाने और  पीने का भरपूर इंतजाम भी किया गया है। यह तकनीकी कार्य महामहिम बी एस पाबला जी द्वारा संचालित किया जा रहा है। उनकी प्रसन्न मुख मुद्रा देख कर इस इंतजाम की विराटता का अनुमान लगाया जा सकता है। 

P090111_13.57समारोह के जीवंत प्रसारण के लिए  परमादरणीय गिरीश बिल्लोरे मुकुल  जी अपनी मीठी आवाज़ और शेव्ड मुखारविंद के साथ हम सब के साथ होंगे।ज्ञातव्य है कि गिरीश जी ब्रह्माण्ड के पहले आनलाइन शेवर हैं, जिन्होंने लाइव शेव बना कर इतिहास रचा था।     


Adarsh Nagar workshop for blog (49)इस समारोह की पूरी रिपोर्टिंग दिल्ली के मशहूर हास्य निर्माता भाई राजीव तनेजा के कर कमलों द्वारा संपादित होनी है इस लिए उन्होने अपने चश्मे पर कंप्यूटर स्क्रीन पर तेल लगा कर तैयारी कर ली है। राजीव जी बांग्लादेश बांग्लादेश मे ब्लागर मिलन की तैयारियों की व्यस्तता के बीच भी समारोह मे शामिल होने की सहमति दे  दी है


P131110_18.01समारोह मे ढेरों देशी विदेशी परदेसी ब्लागर्स के सम्मिलित होने  की आशा है । अन्य ग्रहों से मेहमानों को लाने के लिए उड़ंतश्तरी का भी इंतजाम है जिसका इंतजाम ब्लागजगत के अमिताभ बच्चन जी के सौजन्य से किया गया है। 



P131110_15.30_[01]समारोह मे आने वाले मेहमानों और कार्यक्रमों की सूची तैयार की जा रही है। ब्रह्माण्ड के सभी ब्लागरों का आह्वान किया जाता है कि संगठन के रंग-महोत्सव मे बढ़ चढ़ कर हिस्सा लें। सभी मेहमानों को टिप्पणियों का गिफ्ट हैम्पर दिया जाएगा। शेष सूचना अगले दौर मे
जय हिन्दी, जय ब्लागिंग,

Wednesday, 2 March 2011

शिखा वार्श्नेय ABBS की अध्यक्ष एवं इंदू पुरी सचिव निर्वाचित--बधाईयाँ

ABBS की अध्यक्षा शिखा जी पद एवं गोपनीयता की शपथ लेते हुए
महाशिवरात्रि पर्व पर कई घंटों की चैट पर मशक्कत के बाद यह तय हुआ कि हिन्दी चिट्ठाकारी के विकास के लिए एक अखिल ब्रह्माण्ड स्तरीय संगठन की निहायत ही आवश्यकता है। चैटाधिकारियों ने सर्व सम्मति लंदन की यशस्वी चिट्ठाकार शिखा वार्श्नेय को अध्यक्ष एवं चित्तौड़गढ की धुंरधर बज्जकार एवं चिट्ठाकार इंदू पुरी को सचिव चुना। शीघ्र ही समस्त कार्यकारिणी की सूची प्रकाशित की जाएगी।
ABBS की सचिव इंदू पुरी चित्तौड़ से
 
अखिल ब्रह्माण्ड ब्लॉगर संगठन के माध्यम से हिन्दी ब्लॉगिंग के विकास के लिए पुरजोर प्रयास किया जाएगा।