संगठन के कार्यकर्ता कार्यकारिणी सूची बना रहे हैं तब तक आप यह गीत जैसा कुछ पढ़िए और अगर आपके सुर ताल में गड़बड़ हो तो फिल्म "क्रिश" के गीत "आओ सुनाये ..." की तर्ज़ पर गुनगुनाने की कोशिश भी कर सकते हैं.
यहाँ करता हर कोई अपनी-अपनी मनमानी
कोई बन के बैठा है ,कोई तन के ऐंठा है
किसी ने अपने गुट से ना निकलने की है ठानी
आओ सुनाऊँ
कोई कविता लिखे ,कोई कहानी कहे
कोई यादें लिखे कोई जुबानी कहे
कोई तो बस गरियाने को ही राजी
आओ सुनाऊँ .....
टिप्पणी नहीं चाहिए जो नित कहता जाए
उतनी ही उसकी नजर बाक्स पे गड़ती जाए
कोई बंद करके उसे बन जाये महा ज्ञानी
आओ सुनाऊँ,..
कोई उथला लिखे कोई गहरा लिखे
कोई लेके पिन बस चहूं ओर फिरे.
जहाँ देखा गुब्बारा, पिन चुभा दी जानी .
आओ सुनाऊँ ..
जो छपने लगे वो उड़ते रहें गगन में
जो छपने लगे वो उड़ते रहें गगन में
जो ना छप पाए आहें भरे ब्लॉग चमन में
छप जाएगी उनकी भी एक दिन कहानी.
आओ सुनाऊँ...
कुछ अकड़ में रहे कुछ सार्थक रचते
कुछ खबरे यहाँ वहाँ की चिपकाते रहते
कुछ ने बना ली है अपनी टोली निराली
आओ सुनाऊँ......
कोई रोए अपना दुखड़ा,कोई हँसे जो दूजा रोये
कोई सुने ना बिना नारी पुरुष के चाहे जो भी होए
किसी को बस राजनीति ,है अपनी भुनानी .
आओ सुनाऊँ ब्लॉग जगत की तुम्हें कहानी
यहाँ करता हर कोई अपनी-अपनी मनमानी
हिन्दी ब्लॉगजगत की विडंबनाओं को पूर्णत्या विश्लेषित करता सुन्दर गीत
ReplyDeleteइस गीत को ब्लॉग सिनेमा का थीम साँग बनाना चाहिए।
ReplyDeleteआपने भी कमाल कर दिया।
सुंदर गीत के लिए आभार
ये गीत है या हकीकत-बयानी.....?.....जो भी है बहुत खूब है!
ReplyDeleteयह केवल ब्लॉगजगत कि ही नहीं सभी इंसानों कि कहानी है.
ReplyDeleteहकीकत बयाँ कर दी…………करारी चोट की है।
ReplyDeleteहाहा , क्या मस्त विश्लेषण है , पारखी नजर से कुछ नहीं बचता . रोचक थीम कविता .
ReplyDelete:) :) सटीक विश्लेषण ....ब्लॉग ब्लॉग की कहानी
ReplyDeleteललित शर्मा जी ने ठीक फरमाया है
ReplyDeleteयह गीत अलग-अलग टुकड़ों में एक ही पिक्चर में तीन-चार बार गाया जा सकता है.
मैं फोकट में ही गाने को तैयार हूं
लेडिस सिंगर की तलाश आप लोग कर लो.
कटु सत्य है.
ReplyDeleteरामराम
कहते जिसको भला बुरा , उनके ब्लागों पर जा जा कर
ReplyDeleteएक हो जाते वो भी देखो , असोशिअसन मे आकर
नाम कमाने के चक्कर मे बदनामी की राह है ठानी
आओ सुनाऊँ,..
धर्म करम की बाते वो करते , जो खुद ही ठहरे अधर्मी
सवाल ही खाली दागते रहते , ऐसे भी है कुछ हठ्धर्मी
हर महीने नये ब्लाग बनाकर , लिखते दूजों की जबानी
आओ सुनाऊँ,..
आपके इस ब्लाग से बहुत्त उम्मीदे है ।
गुणवत्ता की भी और सकारात्मकता की भी
jabardst....g
ReplyDeleteकोई उथला लिखे कोई गहरा लिखे
ReplyDeleteकोई लेके पिन बस चहूं ओर फिरे.
जहाँ देखा गुब्बारा, पिन चुभा दी जानी .
.........
सही कहा ...! :)
वाह जी! वाह! क्या मजे लिये हैं! हम अपने को खोज रहे हैं। हमारे भी पिन चुभाई गयी है!
ReplyDeleteकोई उथला लिखे कोई गहरा लिखे
कोई लेके पिन बस चहूं ओर फिरे.
जहाँ देखा गुब्बारा, पिन चुभा दी जानी .
आओ सुनाऊँ ..
ये तो हमारी आदत की मौज है। गजब! गजनट!
:)
भगवान झूठ न बुलायें इस अंश के नायक तो सतीश पंचम ही माने जायेंगे! :)
ReplyDeleteटिप्पणी नहीं चाहिए जो नित कहता जाए
उतनी ही उसकी नजर बाक्स पे गड़ती जाए
कोई बंद करके उसे बन जाये महा ज्ञानी
आओ सुनाऊँ,..
ये किसके लिये लिखा है हमें पता है लेकिन बतायेंगे नहीं! भाई लोग ज्यादा बुरा मान जाते हैं!
ReplyDeleteजो छपने लगे वो उड़ते रहें गगन में
जो ना छप पाए आहें भरे ब्लॉग चमन में
छप जाएगी उनकी भी एक दिन कहानी.
आओ सुनाऊँ...
सुंदर सच्चा ब्लॉग्गिंग गीत ..... बढ़िया बन पड़ा है....
ReplyDeleteजबरदस्त!!!
ReplyDeleteचक्कर में पड़ गए हम कि यह कहानी है या कविता.
ReplyDeleteब्लाग जगत की कहानी बड़ी रोचक और हास्य रस से भरपूर है। साथ ही यथार्थ को भी प्रकाशित किया है आपने। आभार।
ReplyDeleteआईये आपको ब्लाग-जगत की मैं ये सैर करा दूँ.
ReplyDeleteधन्यवाद सहित...
वाह वाह ... क्या बात है !
ReplyDeleteजो कापी पेस्ट करते थे दरोगा बने वो
ReplyDeleteकमसिन थे नादान थे ग्यानी बने वो
टीपो के भूखे थे दानी बने वो
बने खुद ही राजा भले कोई हो रानी
आओ सुनाऊँ ब्लॉग जगत की तुम्हें कहानी
हा हा हा
ReplyDeleteये आलपिन की पिन नहीं, ग्रेनेड की पिन है भीडू!
(एक फोन टैपिंग में सुना गया)
जो भी हो, मस्त है पैरोडी
बहुत बढ़िया !
ReplyDeleteजो छपने लगे वो उड़ते रहें गगन में
ReplyDeleteजो ना छप पाए आहें भरे ब्लॉग चमन में
hahahaha..bahut badhiya
http://dilkikashmakash.blogspot.com/
is link pe jaake mujhse aap jud sakte hai.
निराला अंदाज़, बधाई ।
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